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मंगलवार, 11 सितंबर 2012

***ग़ज़ल***

मेरा कोई भी सहारा तुम बिन नहीं है !
मैं तुम्हें भूल जाऊँ ये मुमकिन नहीं है !!
जिस वक़्त तुम्हारे ख्वाब-ओ-ख्याल नहीं,
वो शब शब नहीं वो दिन दिन नहीं है !
खुदा की क़सम मेरा दिल है तुम्हारा,
कहने को है मेरे पास लेकिन नहीं है !
वो होंगे, मैं हूँगा, ना कोई और होगा,
क्यूँ जल्दी से आते ऐसे पल छिन नहीं है !
कोई हाल दिल का "कमल" उनसे कह दो,
समझ लेंगे आखिर इतने कमसिन नहीं है !

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