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शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

अब तलक भी कितने ही घर गर्क हैं, बरबाद है !
कहने को कहते रहो आज़ाद है ! आज़ाद है !!
करते बच्चे नौकरी जबकि उमर है पढने की,
दब गए हैं बोझ से जबकि उमर है बढ़ने की,
हाये ये मजबूर बच्चे अनसुनी फ़रियाद है ..१
औरतों की जिंदगानी चकलों में है, बाज़ार में,
किसने ये तेजाब फेंका मेरे हसीं गुलज़ार में,
कौन सुनता औरतों की होती जो रूदाद है ..२
कितनी ही चंगेज़-औ- नादिर ने उजाड़ी बस्तियां,
कितनी ही खातिर वतन की मिट गयी

हैं हस्तियाँ,
कोई ज़रा मुझको बताओ किसके कितना याद है..३
हो गए आज़ाद लेकिन क़ैद में इंग्लिश के है,
और कहते नाज़ से मालिक अपनी ख्वाहिश के है,
अपनी ज़ुबां, अपना वतन, अपना जहाँ आबाद है..४
आज भी कश्मीर की जनता है दहशत से भरी,
कर रही है ज़ुल्म उन पर नज़रें वहशत से भरी,
कौन कहता है कि हिन्दोस्तानी बिलकुल शाद है.....५
खैर छोडो जाने दो ये बातें है अपनी जगह,
तुम सभी को हो मुबारक आज़ादी क़ी साल गिरह,
जश्न के मौके पे ना होते "कमल" नाशाद है.......६

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