हाँ, यारों! ये तो अपनी अपनी किस्मत है,
कोई रात भर रोया तो कोई रात भर सोया !
किसी आशिक के दिन-रात जब तन्हा गुज़रते हैं,
तो फिर ऐसा लगता है, ज़िन्दगी बोझ है गोया !
देख शबनम सवेरे को, एक ही ख्याल है आता,
फलक भी मेरी हालत पर रात भर कितना है रोया!
समझाया लोगो ने कितना, मोहब्बत दर्द देती है,
मगर आयी समझ में अब, जब अपना दिल खोया !
"कमल" ये बात भी शायद ठीक है किसी हद तक,
पड़ता काटना वो ही जिसने जो भी है बोया !
(गोया=मानो, शबनम=ओस, फलक=आकाश )
कोई रात भर रोया तो कोई रात भर सोया !
किसी आशिक के दिन-रात जब तन्हा गुज़रते हैं,
तो फिर ऐसा लगता है, ज़िन्दगी बोझ है गोया !
देख शबनम सवेरे को, एक ही ख्याल है आता,
फलक भी मेरी हालत पर रात भर कितना है रोया!
समझाया लोगो ने कितना, मोहब्बत दर्द देती है,
मगर आयी समझ में अब, जब अपना दिल खोया !
"कमल" ये बात भी शायद ठीक है किसी हद तक,
पड़ता काटना वो ही जिसने जो भी है बोया !
(गोया=मानो, शबनम=ओस, फलक=आकाश )
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