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गुरुवार, 13 सितंबर 2012

इस दिल का ठिकाना क्या कहिये,
अब पास नहीं और पास भी है ....१
आओगे कभी तुम मेरे घर,
हाँ, आस नहीं और आस भी है......२
खेतों की ये अपनी किस्मत है,
कहीं घास नहीं, कहीं घास भी है.....३
ये दुनिया जो करती हैं बातें ,
कभी रास नहीं, कभी रास भी है.......४
तेरी ग़ज़लों के शेर "कमल",
कुछ ख़ास नहीं, कुछ ख़ास भी है.........५

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