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शनिवार, 29 सितंबर 2012

तुम...

मैं ये नहीं कहता कि वादा फरामोश हो जाते हो तुम!
हाँ, दिखाके झलक, ज़रूर रूपोश हो जाते हो तुम!!
सिमट आई हो जैसे सारी दुनिया ही मेरी बाँहों में,
जब कभी शरमाते से हम आगोश हो जाते हो तुम!
एक तो मिलता ही कम है वक़्त बात करने को,
ऊपर से, बात करते करते खामोश हो जाते हो तुम!
संभाल लीजिये ये अपना ढलता हुआ आँचल,
ना कहना फिर मुझे कि मदहोश हो जाते हो तुम!
तुम्हें मालूम नहीं कि "कमल" कैसे जिंदा है,
कहीं गायब, लेके, ये मेरे होश हो जाते हो तुम!
(वादा फरामोश=प्रण तोड़ने वाला, रूपोश=अदृश्य)

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