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गुरुवार, 13 सितंबर 2012

***भाषा की तकरार***

मुसलमानों का उर्दू पे हक हो, हिन्दू का हिंदी पे अधिकार हो !
मुझको तो नामंज़ूर है, तुम भले ही तैयार हो !!
शब्दों का ही तो अंतर है, कविता में और अश,आर में !
शायरों के जज़्बात में और कवियों के उदगार में !
कवियों की हो काव्य शैली या शायरों का अंदाज़-ए-बयां !
दोनों में ही है झलकता, उनका अपना दर्द-ए-निहां !
आओ ! दिल की बात लिख लो, हिंदी लिखो उर्दू लिखो !
मतलब तो आसमाँ से है, गगन लिखो गर्दू लिखो !!

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