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गुरुवार, 13 सितंबर 2012

नग्मों को जिस पे नाज़ था ..वो शख्स रफ़ी था !
जो रखता एक अंदाज़ था......वो शख्स रफ़ी था!!
जो बादशाह -ए-आवाज़ था....वो शख्स रफ़ी था !
किया मौसिकी पे परवाज़ था..वो शख्स रफ़ी था !!
एक नए दौर का आगाज़ था.....वो शख्स रफ़ी था!
आवाज़ में छुपा एक साज़ था..वो शख्स रफ़ी था!!
दिलो पे जिसका राज था...........वो शख्स रफ़ी था!
गुलूकारी का जो सरताज था......वो शख्स रफ़ी था!!
बड़ा नेकदिल खुशमिज़ाज था.....वो शख्स रफ़ी था!
जो कह गया अलविदा आज था...वो शख्स रफ़ी था!!
(रफ़ी साहब ! आप हमारे दिलों में हैं ! हम आपको नहीं भूल पायेंगे !)

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