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सोमवार, 17 सितंबर 2012

***ग़ज़ल***

छोटी छोटी बातों से होते ना यूँ उदास है !
दूर हूँ तो क्या हुआ मेरा दिल तो तेरे पास है !
जो भी बातें आयें दिल में, रखना उन्हें संभाल के,
जिस दिन मिलेंगे, कर लेंगे, जितनी भी बातें ख़ास है !
हम सबक ले सकते हैं, चंदा से और चकोर से,
दूर वो भी बहुत है लेकिन फिर भी आस है !
तेरी भी मजबूरियां है और मेरी भी सनम,
वरना फिर तुम ही कहो किसको जुदाई रास है !
दूर रहने से "कमल" दो बातें होना पक्का है,
याद भी आती है ज्यादा, दिल की भी बढती प्यास है !

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