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शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

...चश्मा

सिर्फ मुझ पर नहीं कितनो पे कहर ढाएगा,
धूप में तेरा निकलना, लगा काला चश्मा!
खड़ा हूँ देर से मैं तेरी गली के नुक्कड़ पर,
तू भी आजा ज़रा, घरवालो को दे चकमा!
साथ में चल तू मेरे शाने पे हाथ रख कर,
बैठने दे, जिसके बैठता है दिल पे सदमा!
दुनिया वालो तुम जिसको समझते हो चाँद,
दरअसल वो है मेरे यार के कमीज़ का तकमा!
"कमल" ने पढ़ लिए चार लफ्ज़ मोहब्बत के,
बरहमन मंत्र पढ़े, शैख़ जी पढ़े कलमा !
(कहर=मुसीबत, चकमा देना=बहकाना, शाने=कंधे, तकमा=बटन,लफ्ज़=अक्षर, बरहमन=पुजारी ब्राह्मण, कलमा=मुस्लिम श्लोक )

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