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मंगलवार, 13 नवंबर 2012

सखी ! वो क्यों नहीं आये आज?
कुछ भी नहीं हुई थी अनबन,
भूल गये वो प्रीत का बंधन,
किसके लिए रहूँ मैं बनठन,
बिन उनके, सब बिगड़े काज......१
सूना आंगन शैया सूनी,
जलता ह्रदय जैसे हो धूनी,
मन की व्यथा हुई है दूनी,
आज विरह का छाया राज..........२
आयेंगे वो , मत दे दिलासा,
मन भी प्यासा, तन भी प्यासा,
बढती जाये प्रेम-पिपासा,
कहूँ क्या आगे, आये लाज.........३
....रचियता:कमल शर्मा

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