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शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

जब तक तेरा मेरा जहान में वजूद रहेगा !
ये जज्बा-ए -इश्क भी यूँ ही मौजूद रहेगा!!
राह-ए-उल्फत में हम पा ही लेंगे एक दिन,
कारवाँ,  जानिब-ए -मंजिल-ए -मक़सूद रहेगा!
हसरत -ए -दीदार पूरी होते ही बढ़ जाती है,
सिलसिला ये, मिसाल-ए -सूद दर सूद रहेगा!
जब भी हम मिलेंगे तो मिलेंगे खुलकर,
ना कोई तकल्लुफ, ना ऐलान-ए -हदूद रहेगा!
आ जाओ, अभी तो चिराग-ए -चश्म है रोशन,
"कमल" ना रोशनी और ना फिर दूद रहेगा!
(जज्बा-ए -इश्क=प्रेम भावना, जानिब-ए -मंजिल-ए -मक़सूद=इच्छित लक्ष्य की ओर , मिसाल-ए -सूद दर सूद=चक्रवृद्धि ब्याज की तरह, ऐलान-ए -हदूद=सीमा की घोषणा , दूद=धुआं )

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