फ़ॉलोअर

सोमवार, 5 नवंबर 2012

हर वक़्त...

हर वक़्त यूँ ना नसीब को कोसा कीजिये!
कोई ना बड़ा रब से है, भरोसा कीजिये!!
बच्चों की तरह मुश्किल है रिश्ते सँभालना,
रिश्तों को भी ज़रा पाला-पोसा कीजिये!
गर तेरे दर पे आये कोई भूखा प्यासा शख्स,
रूखा या सूखा जैसा हो परोसा कीजिये!
ना ना की बात ठीक नहीं वस्ल की शब् में,
जिद छोड़, कुबूल इल्तिजा-ए-बोसा कीजिये!
बदले हैं सिर्फ शौक़ पर मैं तो हूँ वही,
सुलूक "कमल" के साथ अपनों सा कीजिये!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें