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शनिवार, 3 नवंबर 2012

मैं क्या...

मैं क्या, किसी को भी कर देंगे पागल,
ये मेहंदी के हाथ, महावर के पाँव !
ग़मों से झुलसते को राहत मिलेगी,
जो मिल जाये तेरी जुल्फों की छाँव!
तेरे ख्वाब, तेरे ख्याल, तेरी ही यादें,
लो बसने लगा है मेरे दिल का गाँव!
तेरी बोली प्यारी कोयल की कुहू सी,
ज़माना है कौआ करे काँव-काँव !
ये मेरी है किस्मत कि जीतूँ या हारूँ,
"कमल" ने लगा डाला उल्फत का दाँव!

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