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मंगलवार, 20 नवंबर 2012

मेहनत करके इंसां ने सब कुछ तलाशा है!
बना डाला देवता भी जब पत्थर तराशा है!!
वज़न कोई नहीं है आजकल लोगों की बातों में,
अगर इस पल में है तोला तो अगले पल में माशा है!
ये दुनिया फेंक भी ना दे और खाने भी ना पाएं
ना बनना नीम है तुझको ना बनना बताशा है!
रहना खुश है गर प्यारे याद करले सबक ये तू,
ना रख उम्मीद लोगों से ना करनी कोई आशा है!
"कमल" ने खूब देखे है रंग दुनिया-ए -फानी के,
कभी बनती तमाशाई कभी खुद ही तमाशा है!

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