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गुरुवार, 22 नवंबर 2012

हाँ, उसी रोज़ ये हो गया खुलासा था !
वादा नहीं था वो झूठा दिलासा था!!
ये मेरी तकदीर थी या तगाफुल तेरा,
बना नासूर अब ज़ख्म जो ज़रा सा था!
मेरी जानिब ना आया कोई जाम, जबकि,
तुझे मालूम था कौन कितना प्यासा था!
एक ही झटके में हार गया सब कुछ,
वाह री किस्मत क्या तेरा पासा था!
रहा ना अब तो किसी काम का "कमल",
प्यार से पहले मैं भी अच्छा ख़ासा था!
(तगाफुल=लापरवाही,जानिब=तरफ )

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