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मंगलवार, 6 नवंबर 2012

कैसे हो?

कैसे हो? पूछा उसने, मुझसे मिलाके हाथ!
मैंने कहा, "दुआ है", थोडा दबा के हाथ!!
जन्नत में घूम रहा हूँ, एहसास ये हुआ,
काँधे पे रख दिया जब, उसने घुमा के हाथ!
फैली हुई सब मस्ती, सिमट आयी एक जा,
सीने से जो लगाया, दोनों फैला के हाथ!
दुनिया ही हिल गयी मेरी, जब उसने ये कहा,
चलते  है अब, अलविदा, हवा में हिला के हाथ!
फिर जान भी छोड़ देगी, "कमल" के जिस्म को,
ना जाना जानेमन, मुझसे छुड़ा के हाथ!
(जा=जगह)

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