बधाई हो 'मित्रता-दिवस' की जितने भी मेरे मित्र हैं !
जितने भी नाते हैं जगत के सब में ये पवित्र है !!
मिल गए हैं कैसे हम सब बात ये विचित्र है !
मन में भी, मष्तिष्क में भी मित्रों के ही चित्र है !!
बंध गए हम कैसे देखो मित्रता की डोर से !
हम बंधे इस छोर से तो तुम बंधे उस छोर से !!
ना निकल पायें कोई भी अब ह्रदय के ठौर से !
हो बधाई 'मित्रता-दिवस' की सबको "कमल" की ओर से !!
जितने भी नाते हैं जगत के सब में ये पवित्र है !!
मिल गए हैं कैसे हम सब बात ये विचित्र है !
मन में भी, मष्तिष्क में भी मित्रों के ही चित्र है !!
बंध गए हम कैसे देखो मित्रता की डोर से !
हम बंधे इस छोर से तो तुम बंधे उस छोर से !!
ना निकल पायें कोई भी अब ह्रदय के ठौर से !
हो बधाई 'मित्रता-दिवस' की सबको "कमल" की ओर से !!
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