फ़ॉलोअर

बुधवार, 12 सितंबर 2012

ये हयात तो कोई हयात नहीं !
उनका दीदार नहीं, उनसे बात नहीं !!
साथ में भीड़ है यूँ तो ज़माने की,
उनका नहीं साथ तो कोई साथ नहीं !
ना उनका क़ुर्ब हो ना उनके ख्वाब,
ऐसी रात भी तो कोई रात नहीं !
हटा दे दूरियाँ जो है दोनों के बीच,
क्या दे सकते हम किस्मत को मात नहीं !
ज़माना लाख करेगा "कमल" कोशिश,
मगर छूटेंगे हाथों में आके हाथ नहीं !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें