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सोमवार, 12 अगस्त 2013

दुनिया के


दुनिया के हसीं देखे, तुझसा शबाब नहीं है!
तू लाजवाब दिलबर, तेरा जवाब नहीं है!!
लाया कोई फ़रिश्ता जन्नत से तुझको याँ पर,
बाग़-ए -जहान में तो, ऐसा गुलाब नहीं है!
आँखों के आगे तेरी, मय की बिसात क्या,
इतना नशीला कोई, जाम-ए -शराब नहीं है!
पर्दों में छुपे जलवे कर देते हैं दीवाना,
मर जाये जान से गर कोई हिजाब नहीं है!
है शुक्र उस खुदा का, जो मिले "कमल" को तुम हो,
तेरा कुर्ब करना हासिल, किसका ख्वाब नहीं है?
(शबाब=यौवन, फ़रिश्ता=देव दूत, जन्नत=स्वर्ग, याँ=यहाँ, बाग़-ए -जहान=सँसार रुपी उपवन , मय=मदिरा, बिसात=सामर्थ्य, जाम-ए -शराब=मदिरा का प्याला, हिजाब=आवरण, कुर्ब=सामीप्य, हासिल=प्राप्त )

शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

ईद मुबारक

मेरे प्यारे दोस्तों ! आप सभी को "कमल शर्मा" की जानिब से  ईद बहुत बहुत मुबारक हो ! वो परवरदिगार आपके दिल की झोली को तमाम खुशियों से भर दे !

मुबारक हो , मुबारक हो, हम सबको ईद मुबारक हो !
जिस रब ने इतनी खुशियाँ दी उस रब को ईद मुबारक हो!!
इस जानिब भी, उस जानिब भी, खुशियों में डूबी सिम्त सभी,
पच्छिम को ईद मुबारक हो, पूरब को ईद मुबारक हो!
है ईद का मतलब दोस्त ख़ुशी, और खुशियों पर है सभी का हक,
हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई , सिख मजहब को ईद मुबारक हो!
चेहरे की ज़रा खुशियाँ देखो जिस जिस को भी ईदी मिली,
आँखों को ईद मुबारक हो , और लब को ईद मुबारक हो!
है चाँद तेरा एहसान "कमल" जो दीख गया कल शब् को तू,
इस दिन को ईद मुबारक हो, उस शब् को ईद मुबारक हो !
(जानिब=ओर , सिम्त=दिशा, मजहब=धर्म, लब =होंट, शब्=रात) 

बुधवार, 7 अगस्त 2013

आ रहा हूं

आ रहा हूँ कल मैं मिलने तुझसे तेरे गाँव में. . .

शहर की इन गलियों में घुट रहा है मेरा दम,
आग लेकिन पेट की दूर ले आई सनम,
पड़ गयी मजबूरियों की बेडी मेरे पाँव में,
आ रहा हूँ कल मैं मिलने तुझसे तेरे गाँव में. . .

इक तरफ दुनिया खड़ी इक तरफ मेरा प्यार है,
फैसला किस्मत पे है जीत है या हार है,
देखते हैं कौन जीते इश्क के  इस दाँव में,
आ रहा हूँ कल मैं मिलने तुझसे तेरे गाँव में. . .

सुबह होते चल पडूँगा छोड़ कर ये राग रंग,
मुझको कुछ नहीं चाहिए सिर्फ तू और तेरा संग,
तुम वहीँ इन्तिज़ार करना गुलमोहर की छाँव में,
आ रहा हूँ कल मैं मिलने तुझसे तेरे गाँव में. . .