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रविवार, 31 मार्च 2013

दुनियावी बातों से हटके ज़रा हूँ मैं!
प्यार और उल्फत से हाँ भरा हूँ मैं!!
नीयत खराब नहीं, खोटी भी नहीं,
इस मामले में थोडा खरा हूँ मैं!
सच कड़वा भी है मंज़ूर मुझे,
झूठी तारीफों से हमेशा डरा हूँ मैं !
उभर जाते हैं कई शेर ज़ेहन में मेरे,
उसकी अदाओं पे जब भी मरा हूँ मैं!
आ गया फिर तेरी महफ़िल में "कमल",
कहूँगा शेर सभी गज़लसरा हूँ मैं!
(ज़ेहन=मस्तिष्क , गज़लसरा=ग़ज़ल सुनाने वाला)
 

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