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मंगलवार, 26 मार्च 2013

भुला करके सारे शिकवे गिलों को!
मोहब्बत के रंग से रंग लो दिलों को!!
सैलाब-ए-उल्फत कुछ इस तरह उमड़े,
डूबा डाले नफरत के साहिलों को!
लगा करके रंग आज मोहब्बत बढाओ,
मोहब्बत से आसाँ करो मुश्किलों को!
होली किसी की भी ना तन्हा गुज़रे,
माशूका आशिक पायें  मंजिलों को!
हँसो  खेलो यारों दुनिया है फानी,
"कमल" कर दो रंगीं अब महफिलों को!

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