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सोमवार, 1 अप्रैल 2013

हम कहाँ वक़्त जाया करते हैं !
यूँ ही दिन बीत जाया करते हैं!!
मानता हूँ , खाने की चीज़ नहीं,
लोग फिर भी गम खाया करते हैं!
नींद सच्ची वही ख्वाब सच्चा,
आप जब तशरीफ़ लाया करते हैं!
ना आयी रास दुनिया को उल्फत,
जहाँ वाले ज़ुल्म ढाया करते है!
बताते गैर को, "कमल" घर पे है,
क्या एहसाँ हमसाया करते हैं!
(जाया करना=नष्ट करना,हमसाया=पडोसी)



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