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शनिवार, 2 मार्च 2013

सुना दे ! रूप-यौवन की गाथाएं,
आज धर्म की वार्तालाप रहने दे!

मत कर तू विषाद की बातें,
कर बस प्रेम आह्लाद की बातें,
सुना दे ! मजनूँ फरहाद की बातें,
आज तू भरत -मिलाप रहने दे………. १

अभी से पंडितों की क्यों माने,
पाप और नर्क को वही जाने,
सुना दे ! लैला शीरीं के गाने,
आज तू सीता-विलाप रहने दे………. २

छवि तेरी है मेरे मन उतरी,
लिए मादकता भली सुथरी,
सुना दे! कोई प्यारी सी ठुमरी,
आज विरह का आलाप रहने दे……….३   
 

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