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मंगलवार, 19 मार्च 2013

नासमझ ! क्यूँ मारता है ? तू किसी को जान से !
मारना है गर तुझे तो, मार दे एहसान से !!
एक भाई दूसरे  का आज चारा बन गया,
भाई चारा ख़त्म है, इंसान का इंसान से!
जैसा बन्दे बोयेगा वैसा ही काटेगा फिर,
खौफ खा कुछ तो अरे अल्लाह से, भगवान् से!
मिलना एक दिन ख़ाक में, फिर क्यूँ करता है गुरूर,
क्या सिकंदर और क्या रावण उठ गए जहान से!
जो भी करना कर गुज़र, जिंदा रहते ही "कमल",
कौन आता लौटकर कब्र से, शमशान  से!

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