लो फिर किसी हसीन पर मेरा दिल ये आ गया !
अदाएं उसकी भा गयी, जलवा उसका भा गया!!
मिलाकर आँखों से आँखें बात करना वो ज़ालिम का,
कैफियत कम नहीं जिसकी नशा कुछ ऐसा छा गया,
झलकता साफ़ था उसका बदन का एक एक वो ख़त,
तंग वो पैरहन उसका क़यामत मुझ पे ढा गया !
मिला जब हुस्न ऐसा है करूँगा इश्क जी भर के,
ये माना इश्क ख़ूनी है अच्छों अच्छों को खा गया !
"कमल" तो मर ही चुका था गम-ए-दुनिया की चोट से,
रोज़ कुछ और जीने का बहाना फिर से पा गया !
(कैफियत=आनंद, ख़त=रेखा-चिह्न, पैरहन=पहनावा, क़यामत=प्रलय, रोज़=दिन)
अदाएं उसकी भा गयी, जलवा उसका भा गया!!
मिलाकर आँखों से आँखें बात करना वो ज़ालिम का,
कैफियत कम नहीं जिसकी नशा कुछ ऐसा छा गया,
झलकता साफ़ था उसका बदन का एक एक वो ख़त,
तंग वो पैरहन उसका क़यामत मुझ पे ढा गया !
मिला जब हुस्न ऐसा है करूँगा इश्क जी भर के,
ये माना इश्क ख़ूनी है अच्छों अच्छों को खा गया !
"कमल" तो मर ही चुका था गम-ए-दुनिया की चोट से,
रोज़ कुछ और जीने का बहाना फिर से पा गया !
(कैफियत=आनंद, ख़त=रेखा-चिह्न, पैरहन=पहनावा, क़यामत=प्रलय, रोज़=दिन)
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