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सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

वो दिन...

वो दिन ख़ाक दिन जो यार से बात ना हो!
खाली सा वक़्त गुज़रे और मुलाक़ात ना हो!!
गुज़रता है एक एक पहर क़यामत की तरह,
ना, किसी के नसीब में ऐसी रात ना हो!
दिल की चाहत ना ज़माने में कभी जाहिर हो,
रहे ख्याल ये, रुसवा तेरे जज़्बात ना हो!
यार हो साथ में और सोये मुँह फेर कर,
इस क़दर पैदा ज़िन्दगी में हालात ना हो!
"कमल" तो खुश है यार मिलनसार मिला,
ज़िन्दगी बेकार लगे जो उसका साथ ना हो!

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