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बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

याद है ?

खेतों के वो रास्ते और पगडंडी ! याद है ?
प्यार की गाडी को जब दी थी झंडी ! याद है?
सुबह से ही रहता था हमको इन्तिज़ार शाम का,
और फिर तेरा मिलने आना सब्जी मंडी ! याद है?
तेरा वो नज़रें झुकाना और वो मुस्काना फिर,
मेरा भी भरना धीरे से आहें ठंडी ! याद है?
याद कर जब रात में बैठे थे छुपके कोने में,
आके वो चौकीदार का खड्काना डंडी ! याद है?
दुनिया की नज़रों से दूर प्यार को रखना "कमल"
करती नफरत प्यार से दुनिया घमंडी ! याद है?

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