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शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012

लिखने की आदत...

लिखने की आदत मेरी गंदी सही !
आज ग़ज़ल नहीं, तुकबंदी सही !!
आ दोनों मिलके दुआ माँगते हैं,
मैं बंदा खुदा का, तू बंदी सही !
ना करो तर्क-ए-ताल्लुकात हमसे,
दोस्ती ना सही, भाई बंदी सही !
जलवे देखो मगर अदब के साथ,
हुस्न की इश्क पे पाबंदी सही !
जान भी दे दे "कमल" उनको,
भले ही जाती है मंदी सही !!
(तर्क-ए-ताल्लुकात=सम्बन्ध - विच्छेद )

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