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शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

जब जब मेरी धानी चुनरिया हवा में उड़ उड़ जाये !
.....................................मुसाफिर मुड मुड जाये !!
बालक देखे, वो भी चाहे, लुकाछुपी का खेल करे,
हर जवान का सपना ये ही, दिल से दिल का मेल करे,
आशिक बुड्ढा, पीता हुक्का, करता गुड गुड जाये !
.....................................मुसाफिर मुड मुड जाये !!......१
बच्ची थी, मैं तभी भली थी, फिर क्यूँ हाये जवान हुई,
मुझसे संभलती ना ये जवानी, मुश्किल में मेरी जान हुई,
हाथों से अब शर्म का दामन मुझसे छुड छुड जाये !
 .....................................मुसाफिर मुड मुड जाये !!......२
मेरे हुस्न की चमक दमक को कोई बिजली कोई आग कहे,
जब लहराए ज़ुल्फ़ मेरी तब कोई घटा कोई नाग कहे,
तौबा तौबा किसी के संग ना नैना  जुड़ जुड़ जाये !
.....................................मुसाफिर मुड मुड जाये !!........३ 

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