दफअतन खाया था दिल ने, उसकी नज़र के तीर को!
अब तलक ना चैन है, आशिक-ए-दिलगीर को!!
चौंकता हूँ, रोता हूँ, रातों में तन्हाई की,
क्या ज़माने को कहूँ , क्या कहूँ तकदीर को!
उतनी ही पाकीजगी से चाहता हूँ मैं तुझे,
मजनूँ ने लैला को और राँझे ने चाहा हीर को!
ऐ मुसव्विर! छोड़ अब, तू ना जानेगा कभी,
मत समझ कागज़ का टुकड़ा, यार की तस्वीर को!
प्यार करना आसाँ है पर निभाना टेढ़ी खीर,
याद रखेगा ज़माना, "कमल" की तहरीर को!
(दफअतन=अचानक, आशिक-ए-दिलगीर=व्यथित ह्रदय वाला प्रेमी, पाकीजगी=पवित्रता, मुसव्विर=चित्रकार, तहरीर=लेखन)
अब तलक ना चैन है, आशिक-ए-दिलगीर को!!
चौंकता हूँ, रोता हूँ, रातों में तन्हाई की,
क्या ज़माने को कहूँ , क्या कहूँ तकदीर को!
उतनी ही पाकीजगी से चाहता हूँ मैं तुझे,
मजनूँ ने लैला को और राँझे ने चाहा हीर को!
ऐ मुसव्विर! छोड़ अब, तू ना जानेगा कभी,
मत समझ कागज़ का टुकड़ा, यार की तस्वीर को!
प्यार करना आसाँ है पर निभाना टेढ़ी खीर,
याद रखेगा ज़माना, "कमल" की तहरीर को!
(दफअतन=अचानक, आशिक-ए-दिलगीर=व्यथित ह्रदय वाला प्रेमी, पाकीजगी=पवित्रता, मुसव्विर=चित्रकार, तहरीर=लेखन)
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