अब तन की छोड़, मन की सुध ले !
तन गिरता जाता है निशदिन,
आयु घटती पल छिन पल छिन ,
मत अगले पिछले जन्म को गिन,
बस इस जीवन की सुध बुध ले!
अब तन की छोड़, मन की सुध ले………. १
ना मन में इच्छा किंचित कर,
बस शुभ कर्मों को संचित कर,
चंचलता, मन से वंचित कर,
सन्यास लगन के आयुध ले !
अब तन की छोड़, मन की सुध ले…….......२
सुन! मन को अपने पवित्र बना,
शुभ संस्कारों के चित्र बना,
आत्मा को अपना मित्र बना,
कर मन को निर्मल और शुद्ध ले !
अब तन की छोड़, मन की सुध ले……… ..३
तन गिरता जाता है निशदिन,
आयु घटती पल छिन पल छिन ,
मत अगले पिछले जन्म को गिन,
बस इस जीवन की सुध बुध ले!
अब तन की छोड़, मन की सुध ले………. १
ना मन में इच्छा किंचित कर,
बस शुभ कर्मों को संचित कर,
चंचलता, मन से वंचित कर,
सन्यास लगन के आयुध ले !
अब तन की छोड़, मन की सुध ले…….......२
सुन! मन को अपने पवित्र बना,
शुभ संस्कारों के चित्र बना,
आत्मा को अपना मित्र बना,
कर मन को निर्मल और शुद्ध ले !
अब तन की छोड़, मन की सुध ले……… ..३
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