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मंगलवार, 5 मार्च 2013

काम का पुजारी हो , राम को दिया है भुला, नाम नहीं ध्यान नहीं ,कलि का प्रभाव है!
यामिनी में मोह की, कामिनी के संग लगा, दामिनी सा चंचल, मन का स्वभाव है!!
चरण पड़ संतों के, शरण में प्रभु की जा, हरण कर जितने भी, कुत्सित भाव है!
"कमल" मिले कैसे कृपा, सजल तो किये ना नेत्र, सकल हृदयों में आज, भाव का अभाव है!

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