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गुरुवार, 6 दिसंबर 2012

अव्वल तो किसी को किसी का आशिक खुदा ना करे !
करे तो फिर उनको ज़िन्दगी भर जुदा ना करे!
कहाँ लिखा है ये कि इस प्यारी उल्फत को?
सिर्फ कुँवारे  ही करे और शादीशुदा ना करे!
साथ में लेके चले और छोड़ दे मझधार में,
ज़ुल्म इतना भी किसी पर कोई नाखुदा ना करे!
यार की याद ना आये , पड़ते ही सो जाये,
कोई भी शख्स बिस्तर को इतना गुदगुदा ना करे!
बड़ा एक फर्क मोहब्बत और हवस  में है,
कोई बदनाम "कमल" मोहब्बत को बाखुदा ना करे!
(अव्वल=प्रथम,नाखुदा=मल्लाह,बाखुदा=खुदा क़सम)

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