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शनिवार, 1 दिसंबर 2012

चीज़ दुनिया में एक से एक अगरचय है!
मगर भाती  नहीं तुझ बिन कोई शय है!!
ज़िन्दगी गर नग्मा है मोहब्बत का,
तू ही सुर तू ही ताल तू ही लय है!
जब भी पीता तो सिर्फ अपने साकी से,
अपना ये अंदाज़-ए -तर्क -ए -मय है!
ना मिले यहाँ, मिलेंगे वहाँ  जाकर,
मिलेंगे पक्का सौ फ़ीसदी तय है!
दिल सी पाकीज़ा जगह और कहाँ,
दिल ही काबा "कमल" दिल शिवालय है!
(अगरचय =यद्यपि , अंदाज़-ए -तर्क -ए -मय=शराब छोड़ने का ढंग )

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