आँखों में पहले, फिर दिल में, अब रूह में समां चुके हो तुम !
ना उतरेगा ये प्यार का रंग, इस तरह से रमा चुके हो तुम !!
ये सोच के मैंने चूमा है, अपने हाथों को कई दफा,
ये हाथ वही जिन में अपने हाथों को थमा चुके हो तुम !
हरदम माँगूं बस यही दुआ, दम निकले तो तेरी बाँहों में,
अपने दम से मेरे दिल की दुनिया दमदमा चुके हो तुम !
क्या ख़ाक कमाया दुनिया में, इज्जत ना कमाई जो तुमने,
कहने को लाख करोड़ सही कितना ही कमा चुके हो तुम !
ये आज की तेरी ग़ज़ल "कमल" रखेगा ज़माना बरसों याद,
अपने शेरों से रंग ऐसा महफ़िल में जमा चुके हो तुम !
ना उतरेगा ये प्यार का रंग, इस तरह से रमा चुके हो तुम !!
ये सोच के मैंने चूमा है, अपने हाथों को कई दफा,
ये हाथ वही जिन में अपने हाथों को थमा चुके हो तुम !
हरदम माँगूं बस यही दुआ, दम निकले तो तेरी बाँहों में,
अपने दम से मेरे दिल की दुनिया दमदमा चुके हो तुम !
क्या ख़ाक कमाया दुनिया में, इज्जत ना कमाई जो तुमने,
कहने को लाख करोड़ सही कितना ही कमा चुके हो तुम !
ये आज की तेरी ग़ज़ल "कमल" रखेगा ज़माना बरसों याद,
अपने शेरों से रंग ऐसा महफ़िल में जमा चुके हो तुम !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें