किस्मत ने देखो क्या खेल खेला !
तुम भी अकेले, मैं भी अकेला !!
जब से गए तुम, तब से ये दिल,
उजड़ा सा बाग़, बिखरा सा मेला !
जहाँ के सभी आशिकों को बुलाओ,
है कौन ऐसा? ना जिसने गम झेला !
शबोरोज़ वो ही फुरकत के गम,
नन्हीं सी जाँ और इतना झमेला !
"कमल" को ना आया करना मोहब्बत,
भले ही कहे लोग मजनूँ का चेला !
(शबोरोज़=रात-दिन, फुरकत=विरह)
तुम भी अकेले, मैं भी अकेला !!
जब से गए तुम, तब से ये दिल,
उजड़ा सा बाग़, बिखरा सा मेला !
जहाँ के सभी आशिकों को बुलाओ,
है कौन ऐसा? ना जिसने गम झेला !
शबोरोज़ वो ही फुरकत के गम,
नन्हीं सी जाँ और इतना झमेला !
"कमल" को ना आया करना मोहब्बत,
भले ही कहे लोग मजनूँ का चेला !
(शबोरोज़=रात-दिन, फुरकत=विरह)
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