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शुक्रवार, 19 जुलाई 2013

बाँटो धरम के नाम पे ये किसकी सलाह है ?
जायेगी कहाँ किश्ती जब ऐसे मल्लाह है?
मालिक तो कुल जहान का एक ही तो है,
माला में राम है तो तस्बीह में अल्लाह है!
उस रब को याद रख हर अमल से पहले,
कहना श्री गणेश और पढना बिस्मिल्लाह है!
जो कुछ भी करो तुम हो काबिल-ए -तारीफ,
लगता है दिल को अच्छा कहता कोई वल्लाह है!
वालिद का साया भी अब सर से उठा अपने ,
लिखता है "कमल" खुद ही करता इस्लाह है!
(किश्ती=नाव, तस्बीह=माला, अमल=कर्म, वालिद=पिता, इस्लाह=संशोधन )

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