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शनिवार, 20 जुलाई 2013

और इजाफा हो गया है ख्वाहिश में!
सनम का साथ जो मिला बारिश में!!
मैं तो कह ही दूँगा आज हसरतें अपनी,
तुम भी कमी ना रखना फरमाईश में!
तकल्लुफ बरतरफ, कर लेंगे अब दिल की,
वक़्त क्यूँ खोना शुक्रिया नवाजिश में!
हम आगोश हुए, दिल को ही क्यूँ कहना,
आँखें भी शामिल थी इस हसीं साजिश में!
"कमल" के साथ जो भीगते देखा उसको,
रकीब भी आ गया लो गर्दिश में!
(इजाफा=वृद्धि, हसरतें=इच्छायें, तकल्लुफ बरतरफ=औपचारिकता छोडो, नवाजिश=धन्यवाद, हम आगोश=आलिंगन बद्ध, साजिश=षड़यंत्र, रकीब=प्रेमिका का दूसरा प्रेमी, गर्दिश=चक्कर )

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