बड़ी जब याद आती है मुझे दिलबर की रह रह कर!
सूख जाते हैं गालों पर मेरे आंसू ये बह बह कर !!
जुदाई होती उल्फत में, दिल-ए-नादाँ सबर कर ले,
गया थक मैं तो समझाके यही इस दिल को कह कह कर!
ज़माना कहता है मुझसे कभी तो मुस्कुराया कर,
कोई मुस्काएगा कैसे गम-ए -फुरकत को सह सह कर!
तमन्ना डूबती जाती सभी सैलाब में गम के,
किसी मुफलिस का घर जैसे गिरे बारिश में ढह ढह कर!
बड़ा होगा तेरा एहसाँ "कमल" के घर कभी आओ,
ज़रा खुल जायेंगे वो भी रखे बिस्तर जो तह तह कर !
सूख जाते हैं गालों पर मेरे आंसू ये बह बह कर !!
जुदाई होती उल्फत में, दिल-ए-नादाँ सबर कर ले,
गया थक मैं तो समझाके यही इस दिल को कह कह कर!
ज़माना कहता है मुझसे कभी तो मुस्कुराया कर,
कोई मुस्काएगा कैसे गम-ए -फुरकत को सह सह कर!
तमन्ना डूबती जाती सभी सैलाब में गम के,
किसी मुफलिस का घर जैसे गिरे बारिश में ढह ढह कर!
बड़ा होगा तेरा एहसाँ "कमल" के घर कभी आओ,
ज़रा खुल जायेंगे वो भी रखे बिस्तर जो तह तह कर !
✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥
♥सादर वंदे मातरम् !♥
♥✫¨*•❁❀✿¨*•❁♥❀♥✿
बड़ा होगा तेरा एहसाँ "कमल" के घर कभी आओ,
ज़रा खुल जायेंगे वो भी रखे बिस्तर जो तह तह कर
:)
क्या बात है !
इरादे तो नेक हैं न ...
कमल जी !
इस रचना सहित ब्लॉग की कुछ अन्य रचनाएं पढ़ीं
अच्छा लगा आपके यहां आ कर ...
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
:)
राजेन्द्र स्वर्णकार
shukriya....Rajendra G bahut bahut
हटाएं