बड़ी जब याद आती है मुझे दिलबर की रह रह कर!
सूख जाते हैं गालों पर मेरे आंसू ये बह बह कर !!
जुदाई होती उल्फत में, दिल-ए-नादाँ सबर कर ले,
गया थक मैं तो समझाके यही इस दिल को कह कह कर!
ज़माना कहता है मुझसे कभी तो मुस्कुराया कर,
कोई मुस्काएगा कैसे गम-ए -फुरकत को सह सह कर!
तमन्ना डूबती जाती सभी सैलाब में गम के,
किसी मुफलिस का घर जैसे गिरे बारिश में ढह ढह कर!
बड़ा होगा तेरा एहसाँ "कमल" के घर कभी आओ,
ज़रा खुल जायेंगे वो भी रखे बिस्तर जो तह तह कर !
सूख जाते हैं गालों पर मेरे आंसू ये बह बह कर !!
जुदाई होती उल्फत में, दिल-ए-नादाँ सबर कर ले,
गया थक मैं तो समझाके यही इस दिल को कह कह कर!
ज़माना कहता है मुझसे कभी तो मुस्कुराया कर,
कोई मुस्काएगा कैसे गम-ए -फुरकत को सह सह कर!
तमन्ना डूबती जाती सभी सैलाब में गम के,
किसी मुफलिस का घर जैसे गिरे बारिश में ढह ढह कर!
बड़ा होगा तेरा एहसाँ "कमल" के घर कभी आओ,
ज़रा खुल जायेंगे वो भी रखे बिस्तर जो तह तह कर !